चीन की विस्तारवादी नीतियों के चलते ही आस्ट्रेलिया-भारत-जापान और अमेरिका का Quad (Quadrilateral Security Dialogue) गठबंधन जोर पकड़ रहा हैं। ट्रंप ने ही भारत के महत्व को रेखांकित करते हुए एशिया-प्रशांत की जगह इसे हिंद-प्रशांत क्षेत्र नाम दिया।
आस्ट्रेलिया एवं जापान दोनों ने बीजिंग प्रवर्तित क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी यानी ‘आरसेप‘ को मूर्त रूप देने में अहम भूमिका निभाई हैं। उन्हें ‘आरसेप‘ से भारी आर्थिक लाभ होने की उम्मीद हैं। दूसरी ओर आस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के साथ ‘आकस‘ जैसी पहल के बावजूद अमेरिका के लिए क्वाड की अहमियत जरा भी कम नहीं।
क्वाड देशों (Quad Countries) ने हिंद और प्रशांत महासागर में बेरोकटोक आवागमन खुला रखने का आहृान कियां साथ ही क्षेत्र के सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किए जाने की भी जरूरत बताई। कहा कि कोई देश अन्य देश पर जबर्दस्ती रौब जमाने की कोशिश न करें। हम ऐसा क्षेत्र चाहतें हैं जहां प्रतिस्पर्धा का प्रबंधन जिम्मेदारी से किया जाए, हर देश सभी तरह के दबाव से मुक्त हो।
क्वाड नेताओं ने कहा कि वे स्वतंत्रता, कानून के शासन, लोकतांत्रिक मूल्यों, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सिद्धांतों का पुरजोंर समर्थन करते हैं, बिना किसी धमकी या बल प्रयोग के विवादों का शांतिपूर्ण समाधान चाहतें हैं और यथास्थिति और नौवहन की स्वतंत्रता को बदलने के किसी भी एकतरफा प्रयास का विरोध करते हैं। ये सभी सिद्धान्त हिंद-प्रशांत क्षेत्र और दुनिया की शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए आवश्यक हैं।
क्वाड नेताओं ने हिंद-प्रशांत में यथास्थिति को बदलने की किसी भी जबरन कोशिश, एकतरफा कार्रवाई, विवादित सुविधाओं का सैन्यकरण, तटरक्षक जहाजों और समुद्री लड़ाकों के खतरनाक उपयोग और अन्य देशों के तटीय संसाधनों की दोहन संबंधी गतिविधियों को बाधित करने के प्रयासों का विरोध किया। जाहिर हैं, क्वाड की नजर में चीन संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि के तहत अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन करनें वाले स्वतंत्र, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत के लिए मुख्य खतरा हैं।
चीन का नाम लिए बिना क्वाड ने पूर्व और दक्षिण चीन सागर में अतिक्रमणकारी गतिविधियों पर गंभीर चिंता जताई। कहा कि स्थिति को बदलने की कोई एकतरफा कोशिश का क्वाड कड़ा विरोध करेगा।
क्वाड (Quad) देश क्षेत्र में आधुनिक, विश्वसनीय, सुरक्षित और मजबूत संचार व्यवस्था बनाने के लिए मिलकर प्रयास करेंगे। इसके लिए ओपन रेडियों एसेस नेटवर्क (ओपन रैन) स्थापित करने का निर्णय लिया गया। यह नेटवर्क द्वीपीय देश पलाऊ से संचालित होगा।
क्वाड देशों (Quad Countries) के विदेश मंत्रियों ने स्वतंत्र और नियम-आधारित खुली अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था बनाए रखने, राष्ट्रों की स्वतंत्रता, मानवाधिकारों, लोकतांत्रिक मूल्यों, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सिद्धांत का सम्मान करने का आहृान किया।
भारतीय विदेश मंत्री, एस. जयशंकर ने कहा, क्वाड समूह सिर्फ बातचीत का अड्डा नहीं बल्कि एक ऐसा मंच हैं जो व्यावहारिक परिणाम देता हैं। उदाहरण के लिए हमारी मानवीय सहायता और आपदा राहत बातचीत हमारी नौसेनाओं के बीच समझ और एसओपो में परिलक्षित होती हैं।
क्वाड (Quad) के सदस्य देश कहते हैं कि क्वाड और हिंद-प्रशांत चीन के खिलाफ नहीं हैं, पर चीन और रूस जोर देकर कहते हैं कि ऐसी ही हैं। शुरू में चीन ने क्वाड का मजाक उड़ाया था, पर अब वह क्वाड को अमेरिकी वर्चस्व बनाए रखने के लिए चीन को घेरने का मंच बता रहा हैं।
स्त्रोत: अमर उजाला, दैनिक जागरण
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